Wednesday, July 13, 2016

इश्क ने छीनी “सुर ताल”

















इश्क ने छीनी “सुर ताल”

———————————————————————————–
इश्क ने छीनी मेरी सब सुर ताल
नही पा रहा हूँ मै खुद को सम्भाल
कैसा यह दरिया है डूबते जा रहा हूँ
फंसे हम दोनों कैसा ये नफरत जाल
मुक्तक@:-अभिषेक शर्मा
———————————————————————————

No comments:

Post a Comment