अभिषेक शर्मा
Wednesday, July 20, 2016
बादल गरजें
बादल गरजें
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सावन में आई बरसात बगिया महक उठी ।
बादल गरजें पूरी रात धरती लहक उठी।
मतवाला सावन मन को भाये जरा झूमों
सावन के गाओ गीत नदियाँ बहक उठी।
:-@अभिषेक शर्मा “अभि”
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मुक्तक
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